किसी बड़े पात्र में स्फटिक शिवलिंग को रखें और इसके ऊपर बेलपत्र और जल अर्पित कर पूजा अर्चना करें।
पारे, चाँदी और जड़ी बूटी को मिलाकर के जो शिवलिंग बनता है, वह पारद शिवलिंग कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार, भगवान शिव को पारा बहुत प्रिय है और उनके इस शिवलिंग की पूजा करने का विशेष महत्व है।।
हे नवी दिल्ली, अजमेर, हैदराबाद, निजामाबाद, विशाखापट्टणम आणि चेन्नई यासारख्या इतर शहरांशी देखील जोडलेले आहे.
स्कंदमाता – ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नमः।।
पारद और स्फटिक में से कौन-सा शिवलिंग बेहतर होता है?
पारा धातू पासून पारद शिवलिंग तयार केले जाते. हा एक द्रव पदार्थ आहे आणि त्यात तांबे ,कांसे, आणि इतर जडीबुटी मिसळून ह्या शिवलिंगाला आकार दिला जातो. तांबे हे पार्वतीचे रूप मानले जाते.
साथ ही माँ लक्ष्मी और कुबेर देव को प्रसन्न करने के लिए ‘ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः’ मंत्र का पाठ करें।
पारद शिवलिंग से अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है।
अध्यात्माबद्दल जरा जरी आकर्षण असलेल्या व्यक्तीला पारद शिवलिंगाची उपासना केलीच पाहिजे असे माझे मत आहे.
धार्मिक मान्यतेनुसार, महादेव हे पारद शिवलिंगात वास करतात. ज्या घरात पारदचे शिवलिंग असते, त्या घरात तंत्र-मंत्रचा किंवा इतर कोणत्याही नकारात्मक शक्तीचा प्रभाव राहत नाही. यासह विद्यार्थ्यांनी मानसिक क्षमता वाढवण्यास here मदत होते. 'ओम नमः शिवाय' चा जप केल्याने ज्ञान, बुद्धी आणि बुद्धी वाढते. तर महामृत्युंजय मंत्राने आरोग्य आणि दीर्घायुष्यासाठी लाभते. घरात पारद शिवलिंगाची नियमित पूजा केल्याने घरात समृद्धी येते. विवाहास पात्र असलेल्या तरुण-तरुणींनी पारद शिवलिंगासमोर बसून मंत्रोच्चारांसह पूजा करावी आणि चांगला जेडीदार मिळावा यासाठी प्रार्थना करावी.
इन शिवलिंगों को रोजाना गंगाजल या साफ पानी से स्नान कराएं। इसके बाद, इन्हें सूखे, साफ कपड़े से पोंछ दें। आप चाहें तो इन्हें रुई में लपेटकर रख सकते हैं। धूप जलाने और दीप जलाने के दौरान इन शिवलिंगों को सीधे गर्मी से बचाएं। थोड़ी सी सावधानी और नियमित पूजा से आप इन शिवलिंगों के दिव्य प्रभाव को प्राप्त कर सकते हैं।
दोनों ही शिवलिंग अपने आप में महत्वपूर्ण और पूजनीय हैं। पारद शिवलिंग को भगवान शिव का साक्षात् स्वरूप माना जाता है, जबकि स्फटिक शिवलिंग को स्वयंभू रूप माना जाता है। पारद शिवलिंग नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने और ग्रह दोषों को कम करने में सहायक माना जाता है, वहीं स्फटिक शिवलिंग मन को शांत करने और आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा देने में सहायक होता है। आप अपनी आवश्यकताओं और पूजा पद्धति के अनुसार इनमें से किसी एक शिवलिंग को चुन सकते हैं।
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